ऋग्वेद  Hindi PDF


ऋग्वेद इन हिंदी पीडीएफ | Rigveda Hindi PDF - Summary


दोस्तों आज हमने इस पोस्ट में आपके लिए Rigveda in Hindi PDF / ऋग्वेद इन हिंदी पीडीएफ अपलोड किया हैं। ऋग्वेद [सनातन धर्म] का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें देवताओं कीस्तुति की गयी है। इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रुप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। UNESCO ने Rig Veda की 1800 से 1500 ईसवी पूर्व की ऋग्वेद की लगभग 30 पाण्डुलिपि को सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल किया है! ऋग्वेद की रचना संभवत सप्तसैंधव प्रदेश में हुयी थी। यहाँ से आप Rigveda in Hindi PDF / ऋग्वेद हिंदी PDF मुफ्त में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।


Rigveda in Hindi PDF | ऋग्वेद हिंदी PDF – Detail

ऋग अर्थात स्थति और ज्ञान ! ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो प्रतीकात्मक है, इसमें सबकुछ है यह अपने आप में एक सम्पूर्ण वेद है। ऋग्वेद मतलब ऐसा ज्ञान जो ऋचाओ में बध्ध हो।

इसके १० मंडल यानी अध्याय में 1028 सूक्त है जिसमे 11 हजार मन्त्र यानी की 10580 मन्त्र है। प्रथम और अंतिम मंडल सामान्य रूप से बड़े है, उनमे सूक्तो की संख्या 191 है।

ऋग्वेद में देवताओं के बारे में और देवलोक में उनकी स्थिति के बारे में वर्णन किया गया है! और साथ में ही इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन इत्यादि के द्वारा चिकित्सा के बारे में जानकारी मिलती है। ऋग्वेद में चवन ऋषि को पुनः युवा करने की लोककथा भी मिलती है।

ऋग्वेद में आपको दो प्रकार के विभाग मिलते है

अष्टकक्रम
मंडल्क्र्म
अष्टकक्रम :- अष्टकक्रम में समस्त ग्रन्थ अष्टको तथा प्रत्येक ग्रन्थ आठ अध्यायों में विभाजित है। प्रत्येक अध्याय वर्गों में विभक्त है! समस्त वर्गों को संख्या २०६ है।

मंडल्क्र्म:- इसी प्रकार से इसमें समस्त ग्रन्थ 10 मंडलों में विभाजित है! मंडलअनुवाक सूक्त तथा सूक्त मन्त्र या ऋचाओं में विभाजित है। इन 10 मंडलों में 85 अनुवाक्य, 1028 सूक्त है और इनके अतिरिक्त 11 बाल्खेल्य सूक्त है।


Rigveda Hindi PDF | ऋग्वेद PDF – के कितने उपनिषद है

वर्तमान में ऋग्वेद के 10 उपनिषद है! सम्भवत उनके नाम यह है

ऐतरेय,
आत्मबोध,
कौषीतकि,
मूद्गल,
निर्वाण,
नादबिंदू,
अक्षमाया,
त्रिपुरा,
बह्वरुका
सौभाग्यलक्ष्मी।


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